“ एहसास ”
“ एहसास ”
ये जो जिंदगी थोड़ी लगती है हमें,
पहले कभी एहसास हुआ ना था
न थे गम के करीब जज़्बात मेरे,
पहले ऐसा क्यूँकर लगा ना था
हर मुश्किल जो रहीं, थीं आसान बनी
इस गेमें दिल को मोहब्बत ने, सबारा था कभी
आज बहुत फुरसत रहती है हमें
पर वो अपनों का सहारा ही नहीं
ये जो जिंदगी थोड़ी..............
दिन ढलता ही गया, साया बढ़ता ही गया
साथ अपनों से मेरा, बिछड़ता ही गया
आज बहुत, फुरसत रहती है हमें
पर वो क़दमों का, गुब्बारा ही नहीं
ये जो जिंदगी थोड़ी.................
बड़ी उलझन सी है,कैसे कह दें
तेरा कोई ठौर- ठिकाना ही नहीं
आज बहुत फुरसत रहती है हमें
पर मेरा हम कदम, कोई साया ही नहीं
ये जो जिंदगी थोड़ी लगती है
हमें पहले कभी एहसास हुआ ना था
न थे गम के करीब जज़्बात
मेरे पहले ऐसा क्यूँकर लगा ना था।