भीनी-भीनी सी खुशबु
भीनी-भीनी सी खुशबु
ये जो भीनी-भीनी सी खुशबु छाई है,
किस के आने का, संदेसा लाई है
धड़कन उनकी है, जज्बात मेरे
धड़कते तेरे दिल में हैं, ख़यालात मेरे
आज दर्पण सी झलक आयी है
किस के आने का संदेसा लाई है
ये जो भीनी-भीनी……
लाख पर्दे में, वे छिपे रहते थे
बड़े मगरूर थे, ना कुछ कहते थे
दुल्हन बन के बहार आई है
किस के आने का संदेसा लाई है
ये जो भीनी-भीनी………
बहुत रोया लिपट कर दामन से उनके
जब रूठे वो मनाया हम ने
हैं कुछ ख़ास, उन को समझ आई है
किस के आने का संदेसा लाई है
ये जो भीनी-भीनी सी खुशबु छाई है,
किस के आने का, संदेसा लाई है