“ ईद का चांद ”
“ ईद का चांद ”
कहाँ हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो,
ढ़ंढता है दिल मेरा, परेशान हूँ I
चांदनी हो मेरी, दिल के अरमान हो,
पहुँच से दूर तुम, ईद का चांद हो I
कहाँ हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो I
तुम छुपे हो कहाँ , है मुझे ये पता
बादलो मे रौशनी, छिप रही जिस तरह।
कहां हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो I
भ्र्म है आँख को, दूर तालाब है,
रेत से ये बना चश्मयी आव है I
कहाँ हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो,
ढ़ंढता है दिल मेरा, परेशान हूँ I

