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KK Kashyap

Romance

3  

KK Kashyap

Romance

“ ईद का चांद ”

“ ईद का चांद ”

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कहाँ हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो,

ढ़ंढता है दिल मेरा, परेशान हूँ I


चांदनी हो मेरी, दिल के अरमान हो,

पहुँच से दूर तुम, ईद का चांद हो I

कहाँ हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो I


तुम छुपे हो कहाँ , है मुझे ये पता

बादलो मे रौशनी, छिप रही जिस तरह।

कहां हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो I


भ्र्म है आँख को, दूर तालाब है,

रेत से ये बना चश्मयी आव है I

कहाँ हो, कहाँ हो, तुम कहाँ हो,

ढ़ंढता है दिल मेरा, परेशान हूँ I


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