बदनाम ज़िंदगी
बदनाम ज़िंदगी
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है
ज़िंदा रहने की हर ख़्वाहिश को
करती तू नाकाम है
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है
कोशिशें हज़ार कर ले तू कभी रूकती नहीं
चाहे कितना आज़मा ले तू कभी डिगती नहीं
तेरी बदनामी का चर्चा हर जुबां में आम है
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है
इक बेचारा सोच में हैं बाकी कितने काम है
घर बनाना और बसाना ख्वाहिशें तमाम है
एक ही पल में तूने सारे छीन लेना नाम है
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है
बच्चों की ख़ुशी के कारण कोई हर पल लड़ रहा
कोई खुद की आरज़ू को दफ्न खुद ही कर रहा
हर किसी के बेबसी का लेती तू इम्तहान है
ऐ ज़ि न्दगी तू बड़ी बदनाम है
क्यों किसी भी मोड़ पर तू मुझसे है मिलती नहीं
हाँथ मेरा हाँथ में ले क्यों कभी चलती नहीं
साथ तेरा छोड़ जाना क्यों बड़ा आसान है
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है
दौड़ भाग में ही अपनी उम्र बीती जाती है
लाख तकलीफों के बल पर एक हंसी तो आती है
छीन लेना उसको तेरा रोज़ का ही काम है
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है
जन्म लेते ही किसी के तू शुरू हो जाती है
उम्र बढ़ती है सभी की तू बस छोटी होती जाती है
तेरी उँगलि यों पर सबकी बस रही ये जान है
ऐ ज़ि न्दगी तू बड़ी बदनाम है
साथ जिसके तू चले उसको कोई ग़म नहीं
तेरी ही मर्ज़ी पर सब है इसमें कोई ग़म नहीं
सर उठा के जी गया वो जिसकी तू कद्रदान है
ऐ ज़िन्दगी तू बड़ी बदनाम है।
