बदलते रिश्ते
बदलते रिश्ते
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
बदलाव के इस दौर में
तुम्हारा भी बदल जाना,
किंचित भी अचम्भित नहीं करता मुझे,
कि बदलाव तो नियति है,
बदलाव तो शाश्वत सत्य है...
बदलाव ही तो चलायमान रखता है जीवन को,
बदलाव ही तो जिंदगी भी है,
बदलती ऋतुओं की तरह,
अक्सर रिश्ते भी बदल जाते हैं,
नाम भले ही न बदले रिश्तों के,
पर समीकरण ज़रूर बदल जाते है।
पर जब प्रत्याशाओं की डोर टूटती है तो
दर्द तो होता ही है
बहुत चाहा था कि,
मन बांध कर ही रहूँ इस रिश्ते में
बिल्कुल मेघ की तरह….
जो अम्बर के साथ हो कर भी नहीं होते
पर भूल ही गई इस बात को कि,
भले ही अम्बर और मेघ का रिश्ता सतही हो…
पर मेघ और नीर का रिश्ता तो अविच्छिन्न होता है
बरसना तो मेघ को पड़ता ही है,
रिश्ता सतही हो या अभिन्न…..
तो भले ही अप्रत्याशित न रहा हो
तुम्हारा यूं बदल जाना
पर मन को बांध ही गया है ये रिश्ता
पीर के साथ और नीर के साथ भी