बदलता वक्त ...
बदलता वक्त ...
रुको कुछ दिन और पुराने यार ढूंढोगे,
मतलबी रिश्तों में सच्चा प्यार ढूंढोगे।
होगे उदास जब बैठकर अकेले में,
अपना दर्द कहने को दीवार ढूंढोगे।
जब ऊब जाओगे इधर उधर से,
वो दर्द पुराने हजार ढूंढोगे।
जब आएगा पतझड़ का महीना,
पुराने रिश्तों के बसंत बहार ढूंढोगे।
जब खो जाओगे अपने गम में इतना,
मुझे अपने ही घर में बार बार ढूंढोगे।