मैं दूर जाना चाहता हूं
मैं दूर जाना चाहता हूं
मैं दूर जाना चाहता हूं,
तेरी यादों से, तेरे झूठे वादों से
तेरे साथ बितायी हुई रातों से।
मैं दूर जाना चाहता हूं,
तेरे हर एक ख्याल से,
तेरी बातों के कमाल से,
मैं दूर जाना चाहता हूं,
मिलते थे उन गली से,
गुजरी शाम ढली से,
मैं दूर जाना चाहता हूं,
करता था जो तेरी परवाह से,
मांगी मन्नतें उस दरगाह से,
मैं दूर जाना चाहता हूं,
छुपकर हुई मुलाकातों से,
प्यार भरी उन बातों से,
मैं दूर जाना चाहता हूं,
तेरे पहलू में सोने से,
सीने में छुपकर रोने से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
बहुत देर हुई शामों से,
तेरे मेरे फसानों से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
तेरे चेहरे पर मेरे होंठों की मुहर से,
तेरी हर गली, सड़क और शहर से
मैं दूर जाना चाहता हूं।
ढलती शाम के इन्तजार से,
तेरे मुझ पर इख्तियार से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
तेरे हर एक तोहफे से,
झूठे इश्क के फलसफे से,
मैं दूर जाना चाहता हूं,
तेरे बनावटी झूठ से,
पिये जो गुस्से के घूंट से,
मैं दूर जाना चाहता हूं,
तेरे खुद के बनाये बहानों से,
मेरे लिये गाये उन गानों से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
जो सहा ना गया उस दर्द से,
तेरे दिल में छुपी उस गर्द से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
तेरे बनाये पकवान से,
फूलों वाले बागान से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
तेरे किये एहसानों से,
तेरे दोस्त मेहमानों से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
तेरी मजबूरी से,
कदमों की दूरी से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।
तुझसे, तेरी याद से,
तेरी हर एक बात से,
मैं दूर जाना चाहता हूं।