STORYMIRROR

Tinku Sharma

Abstract

4  

Tinku Sharma

Abstract

पुरानी चीजें...

पुरानी चीजें...

1 min
252

रुको कुछ दिन और पुराने यार ढूंढोगे,

मतलबी रिश्तों में सच्चा प्यार ढूंढोगे।


होगे उदास जब बैठकर अकेले में,

अपना दर्द कहने को दीवार ढूंढोगे।


जब ऊब जाओगे इधर उधर से,

वो दर्द पुराने हजार ढूंढोगे।


जब आएगा पतझड़ का महीना,

पुराने रिश्तों के बसंत बहार ढूंढोगे।


जब खो जाओगे अपने गम में इतना,

मुझे अपने ही घर में बार बार ढूंढोगे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract