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Hariom Kumar

Drama

3  

Hariom Kumar

Drama

बचपन

बचपन

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कितना मधुर है होता बचपन,

खुशियां हरदम हर पल हर क्षण,

होती नहीं है चिंता कोई,

हंसता गाता रहता है मन,


दादा-दादी के किस्से,कहानी,

अपनी मस्ती अपनी ही रवानी,

हरदम अपने धून में रहना,

क्या उनको रोके कोई जन,


कितने प्यारे खेल-खिलौने,

आंखों में मनमोहन सपने,

चेहरे पर मुस्कान चमकती,

ढ़का धूल से रहता है तन,


जीवन की हैं सीढ़ी चढ़ते,

हम आगे को जाते बढ़ते,

छूट जाता है दर बचपन का,

खो जाता अनमोल रतन-धन,

कितना मधुर है होता बचपन।


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