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गौरव सिंह घाणेराव

Children

4.5  

गौरव सिंह घाणेराव

Children

बचपन को जी लेने दो

बचपन को जी लेने दो

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इस बचपन को जी लेने दो

ये आनंद रस पी लेने दो

फिर लौट के दिन न ये आएँगे

मीठी यादों बिन हम रह जायेंगे

पलक झपके ही जैसे ये

दिन बदल से जायेंगे

इस भागदौड़ की दुनिया में

हम भी फंसकर रह जायेंगे

इस बचपन को जी लेने दो

ये आनंद रस पी लेने दो


नर्सरी से ही आरम्भ हो जाती है मारामारी

मम्मी कहती बेटा इस बार फर्स्ट आने की तेरी बारी

पापा के दोस्तों में भी तो शर्ट लगी थी भारी भारी

दादा कहते अव्वल न आये तो समझो नाक कटी हमारी

इन सब की उम्मीदों का, बोझ लदा है मुझ पर भारी

दबी इच्छाएं कोमल मन में पर न आ रही उनकी बारी

सोच वीचारु चिंतित मन से, कब खत्म होगी ये भेजामारी

इस भेजामारी से दूर मुझ को कुछ क्षण तो जी लेने दो

दोस्त मेरे सब खेल रहे है, मुझे भी तनिक खेल लेने दो

इस बचपन को जी लेने दो, ये आनंद रस पी पीने दो


गुड्डे गुड़िया बाट जोह रहे

बस्ते का हम भार ढो रहे

भाग दौड़ की इस दुनिया में

न जाने हम है कहा खो रहे

हमे भी बगियन में जाकर के 

यूं आम तोड़ खा लेने दो

इस बचपन को जी लेने दो

ये आनंद रस पी लेने दो


पापा आपके भी तो बचपन के 

दिन कहा वापस आते है

मम्मी आपके भी तो दोस्त अब 

वाट्स अप्प पर ही मिल पाते है

फिर हमे भी तो इस बचपन में

थोड़ा उधम कर लेने दो

इस बचपन को जी लेने दो

ये आनंद रस पी लेने दो



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