बचपन की कहानियाँ
बचपन की कहानियाँ
"पलटती हूँ जब भी स्मृतियों के पन्ने,
टकरा जाता है मुझसे बचपन,
गूँजने लगती हैं भूली-बिसरी कहानियाँ,
राजा,रानी और वो राजकुमारियाँ,
अभी भी महल की सीढ़ियों पर पड़ी दिखती हैं,
सिण्ड्रैला की जूतियाँ,
स्नोव्हाइट के गले में अभी भी अटका हुआ है सेब,
गहरी नींद में सोई हुई कई और राजकुमारियाँ,
जमीन पर पड़ी तड़प रहीं हैं जल की रानी,मछलियाँ
कहीं दिखती नही वो काठी के घोड़े,
वो लकड़ी की काठियाँ,
जॉनी के मुँह में घुल गई हैं कड़वाहटें,
नहीं भाती उसे शूगर या कैण्डियाँ,
रेन" बरसती ही चली जा रही है,
लिटिल जॉनी ने बना ली है,घर में ही अपनी दुनिया,
चंदा मामा पर गड्ढे ही गड्ढे दिखने लगे हैं,
कहाँ गई चरखा चलाती वो बुढ़िया
चाचा चौधरी के कम्प्यूटर से तेज दिमाग में,
वायरस ने बसा ली है अपनी दुनिया,
पिंकी और बिल्लू करते नहीं अब शैतानियाँ,
चिराग रगड़ने पर जिनी अब निकलता नहीं है,
उबाने लगी हैं बच्चों को अलादीन की कहानियाँ,
सयानी हो गयीं हैं नन्हीं वो बार्बियाँ,
हेन्सल और ग्रेटल रस्ता फिर भूल गये हैं,
खा गईं हैं ब्रेड नन्हीं चिड़ियाँ,
कहाँ गईं ?, कहाँ गईं ?
वो दादी, वो नानियाँ,
गतांक के आगे की है अधूरी कहानियाँ,
भयानक दानवों की कैद में हैं कई राजकुमारियाँ,
सुखद अंत की प्रतीक्षा कर रहीं हैं कई अधूरी कहानियाँ,
देखो, बुला रहीं हैं वो नन्हीं राजकुमारियाँ।"