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रिपुदमन झा "पिनाकी"

Fantasy Children

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रिपुदमन झा "पिनाकी"

Fantasy Children

बच्चे

बच्चे

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हम भी अगर बच्चे होते, तो कितना अच्छा होता।

कभी खेलते कभी घूमते, कोई फिकर न होता।।


प्यारे प्यारे खेल खिलौने, रंग बिरंगे गुब्बारे।

मम्मी पापा लाकर देते, हमको भी बहुत सारे।।


टॉफी, बिस्कुट, केक, मिठाई खाते खूब मंगाकर।

जिद पूरी सब करते मेरी, रखते लाड लगाकर।।


जो चाहें हम मनवा लेते, मांगें अपनी रो कर।

हम मर्जी के मालिक होते, दुनिया होती नौकर।।


धरती पर हम पाँव न धरते, गोद में चढ़कर रहते।

घर में सबके चहेते रहते, लाडले बनकर रहते।।



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