Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Nand Kumar

Tragedy

4  

Nand Kumar

Tragedy

बातें है कुछ शेष

बातें है कुछ शेष

1 min
246



बातें है कुछ शेष ह्रदय मे, मिलो कभी तो बतलाऊं।

प्यार मिले दीदार मिले फिर, पाकर तुमको हरषाऊं।।


मन भेद खोलकर के प्रियवर, मै तुमसे नेह बढाऊं।

जीवन साथी बना तुम्हें मै, जीवन का सुख पाऊं।।


इन्तजार मे नयन थक गए, मै खुद से ही हार गया।

सुनो बात कुछ अपनी कह, दे दो बापस जो प्यार गया।।


खता हमारी क्या कुछ तो, अपने मुँह से बतला देना।

किया प्यार तुमसे हे प्यारी, अपना मुझे बना लेना।।


बीती बाते शिकवे सारे, मिलकर हम सुलझाएं।

कलुष भेद हर आलिंगन, कर समा एक मे जाएं।।


प्यार समर्पण त्याग बिना, नीरस रिश्ते है सारे।

तुम मुझको हो प्यारी, क्या हम नही तुम्हारे।।


बातें अच्छी और बुरी सब, रिश्तों मे चलती रहती।

सोच समझ जो चले गृहस्थी, कमी न कुछ उसको रहती।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy