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pankaj mishra

Tragedy

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pankaj mishra

Tragedy

लबों पे यहाँ जय हिंद होना

लबों पे यहाँ जय हिंद होना

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चाहता हूँ लिखना बात मैं देश की

छिपा बैठा है जो उस छद्म भेष की।


दिखता है कुछ कुछ और ही दिखा रहा

जख्म जनता के झूठी मरहम लगा रहा


आता घर कई बार पैर भी पकड़ता है

साल भर बाद फिर ठूँठ सा अकड़ता है


लोकभावना को जो ठेंगा दिखा रहा है

देश की संपत्ति निज ऐश में उड़ा रहा है


शिक्षा, स्वास्थ्य की तो बात नहीं करता

धर्म, जाति के हमें आँकड़े बता रहा है।


पंगु हो गई है अब राजनीति देश की

बन गई आजकल ये वजह क्लेश की।


वर्ण राजनीति अब आगे हैं बढ़ रही

जातिगत पार्टियां हैं रण में उतर रही।


कह रहा है मिश्र हाथ जोड़ आपसे

देश को बचाइए राजनीतिक संताप से।


हिंद है अखंड ये,सदा रहना चाहिए

हर लबों पे यहाँ, जयहिंद होना चाहिए।


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