प्यार का अब रहा वो जमाना नहीं
प्यार का अब रहा वो जमाना नहीं
प्यार का अब रहा वो जमाना नहीं
खुद को तकलीफ में यूँ लाना नहीं
तुमको शायद नहीं है पता ये सुनो
हर जगह दर्द अपना सुनाना नहीं
क्या पता कब किसके गले से लगे
इस खुशी का कोई ठिकाना नहीं
एक मुद्दत हुई उससे मिलके मुझे
साथ मेरा था जिसको निभाना नहीं
देख जिसको मुझे मिलती खुशी
माँ है मेरी कोई और खजाना नहीं
कह रहे हैं खंडहर जिसे देखकर
गाँव मेरा है कोई वीराना नहीं।