सोचता हूँ तुझे क्या लिखूँ?
सोचता हूँ तुझे क्या लिखूँ?
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सोचता हूँ तुझे क्या लिखूँ?
डूबती शाम, उनींदी सुबह।
सुबह की धूप, परियों का रूप।
मचलती लहरें, प्रकृति का विरह।।
सोचता हूँ तुझे क्या लिखूँ?
कोयल की कूक, भँवरे की हूक।
धरा का व्यवहार, गगन का विस्तार।
सादगी की मूरत, प्रेम का प्रसार।।
लाज का श्रृंगार, सादगी का आचार।
कल्पना की किरण, कोई गूढ़ विचार।।
तुझे समंदर की लहर लिखूँ या
नदी का विसर्पण।
तुझे माँ का प्यार लिखूँ या तात का
समर्पण।।
सोचता हूँ तुझे क्या लिखूँ?
अलसाई आँखों की नींद
या सफलता की उम्मीद
तुझे जीवन की आशा लिखूँ।
या मन में व्याप्त निराशा लिखूँ।।
सोचता हूँ तुझे क्या लिखूँ?