STORYMIRROR

pankaj mishra

Romance

2  

pankaj mishra

Romance

एक तेरी जरूरत है मुझ को..

एक तेरी जरूरत है मुझ को..

1 min
164

एक तेरी ज़रूरत है मुझ को 

यूँ दे न सजा अब मुझ को

एक तुझपे ही तो मिटा हूँ

इतना भी मिटा न मुझ को


एक अरसा गुजारा है हमने

देखने के बहाने से तुझ को

तुम समझते नहीं क्यों मुझे

एक तेरी ज़रूरत है मुझ को


वक्त ये भी गुजर जाएगा

याद करते हुए एक तुझ को

लौट आओ निलय आज मेरे

ये हृदय चाहता है तुझ को



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance