बातें चुराती हुई शाम
बातें चुराती हुई शाम
यह शाम.......
यह सुरमयी शाम...
बातें चुराती हुई शाम है ...
मेरी बातें चुराकर ये शाम
तुम्हारी बातें करने लगी है
ऐसी शरारत करते हुए वह
मुस्कुराहट बिखेरने लगी है
चुराकर मेरे इनकार को
वह शाम कुछ संजीदा सी हुयी है
मुट्ठी में बंद इक़रार दिखाते
वह चाँद सी रात बन गयी है
मन मे कई तरंगे जगाकर
यह रात महकने लगी है
दिल से दिल रूबरू हो कर
ख़्वाबों की महफ़िल सजायी है
शाम ने जो बातें चुरायी थी
उस शरारत ने सब बदल दिया
अब ना बातों की जरूरत रही
और ना ही कोई अहमियत भी....