बालों की सफ़ेद में तुम हरीतिमा
बालों की सफ़ेद में तुम हरीतिमा
बालों में छाई सफ़ेदी,
गालों पर आई लकीरों में,
फिर से चमक आ रही है,
तुमसे जो हुई मुलाक़ात,
वह अपना असर दिखा रही है,
इश्क़ तरंगिणी कमज़ोर दिल में,
उठा रही तूफ़ान है,
इसका मुझे वह दे रही बार-बार एहसास है,
जिंदगी की रफ़्तार ने छीन लिया था मुझसे जो कभी,
आज वह मेरे दिल में दस्तक दे रही है,
इश्क़ कहां जानता है गणित उम्र का?
यह अरमानों -एहसासों का खेल है,
जो अपने आप पनप रहा ये ऐसा मेल है,
जब बही तर इश्क़ में हवा,
दिल मेरा, दीवाना बना तेरा,
आज मैंने पाया उसे, छीन लिया था
जिम्मेदारियों ने जो एहसास मेरा,
तुम आई हो हरियाली बन इस पतझड़ में,
यह भी सही,
एकांकी जीवन में लाई बहार यह भी सही,
आ पास मेरे रुसवाई से ना घबरा,
लड़कर फतह की है जिंदगी की कई लड़ाई,
लड़खड़ाते कदमों से फिर हम जीत लेंगे जग ये तेरा- मेरा,
इस पड़ाव में बन जीवन राही,
आ! हम भी ताके डूबते सूरज की परछाई।