कोई नहीं साथ
कोई नहीं साथ
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कोई भी नहीं है अब चाहिए आसपास
कोई भी नहीं है करता मुंह पर सही बात,
बात जो बनाएं पीठ पीछे नहीं चाहिए ऐसा साथ,
साथ चाहिए जो तूफान पर भी खड़ा रहे पकड़ के मेरा हाथ,
हाथ छूटे मैं जब ले रही हूं अंतिम सांस,
सांस जब है टूट रही तो भी रहेगा यही ज्ञान,
ज्ञान ये कि फूल भाते सब को, कांटे नहीं,
नहीं कांटे भाए जिसको वह साथ नहीं तुम्हारा,
तुम्हारा साथ है तुमसे ,याद रखो बात यह दिल से।।
