प्रीत ध्वनि का विस्तार
प्रीत ध्वनि का विस्तार
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पायल की झंकार
बांसुरी की तान
मिलन ध्वनि, प्रीत का विस्तार
प्रीत की रीत निभाने राधा -कृष्ण बाल ,
देख ! बेल- पात झूमे- चूमे वृक्ष की छाल,
डाल पर बैठे खग- विहग जोड़े,
मधुर प्रीत धुन में डोले,
रज ब्रज की, प्रीत रस में घुल
चमके बन स्वर्ण कण,
प्रीत कनक में गुम बृजवासी,
झूम बन राधा- श्याम।।
