ना उम्र ना जन्म हो बस कर्म
ना उम्र ना जन्म हो बस कर्म
ना उम्र की सीमाये रहे
ना जन्म का कोई चक्कर,
अच्छे- बुरे ना रहे कुंडली में
ग्रह गोचर का समीकरण,
अपनी घुरी में घूमती धरा,
दिन और रात में बांट लेती समय को जरा -जरा
ऐसी आ जाए बस हमें भी कला,
परिक्रमा करते दिव्य सूरज की
ताप से नहीं जलती जरा,
उम्र का उसकी कोई न अता -पता,
ना जन्म का है कोई खाता बना,
अपने कर्म पथ पर चली जा रही है,
निरंतरता का उदाहरण गड़ी जा रही है,
उम्र की माला, जन्मों की धारा को तोड़
बस अपनी धुरी में घूम परिक्रमा करती जा रही है।