पतझड़
पतझड़
शुभारम्भ मधुमास वसंत नव कोमल
किसलय वासंती वयार प्रकृति सुंदर मदमस्त।।
खेतो में हिरयाली घरों में खुशहाली के संग
शैने शैने प्रखर निखर सूरज कि गर्मी चैत्र बैशाख जेठ प्रचंड ।।
असाढ़ सावन भादो कुवार वारिश फुहार
सूखे पत्ते भी झूमते नव यवना के साथ संग ।।
कार्तिक अगहन पुस माघ सर्द से सिमटी लिपटी जिंदगी तंग।।
आता खुशियों ख़ुशबू का वसंत पुराने पत्तो का छुटता साथ संग।।
ऋतुओं मौसम जैसा ही जीवन पल प्रहर शुभ शुभरम्भ अंत।।
चलता जीवन सुख दुख गम खुशी आंसू
औऱ मुस्कान समान पतझड़ और वसंत ।।
चढ़ते उतरते काल समय भाग्य भगवान
कर्म धर्म का जीवन पतझड़ और वसंत।।
जीवन का एक रूप जन्म जीवन और अंत
जन्म नव कोमल किसलय आगमन नव जीवन स्वागत उमंग ।।
टूटती सांसे समाज बृक्ष से गिरता पत्ता गिरता बृक्ष नही लौटता
नव जीवन के कोमल किसलय प्रकृति काल के संग।।
बचपन किशोर युवा यौवन जीवन अंत मौसम ऋतुओं के आने
जाने से प्रकृति प्राणि का भी आना जाना पतझड़ और वसंत।।