मौसम का एतबार क्या
मौसम का एतबार क्या
इब बदलते मौसम का भला एतबार क्या ,
ठान लिया चलना है, तो करेगा संसार क्या!
दिल में जो रहता है उस शख्स का अंदाज़ क्या,
उनके हंसने व रुठने का ऐसा भी अंदाज क्या!
गर अपनों के साथ हो तो होना उदास क्या ,
कदमों की रफ्तार तेज हो तो परवाज क्या !
मौसम आते जाते रहेंगे संत का इंतजार क्या,
इसके जाने पर विरह व आने पर श्रृंगार क्या!
आजकल इंसान की फितरत का भरोसा क्या,
खुद पर हो यकीन तो कोई तोड़ सकेगा क्या !