अतुलनीय
अतुलनीय
याद किसी की आती होगी
सोये से जगाती होगी।
चुपके चुपके सपनों में,
छुप आती होगी।
भाव भरा मन,
क्या कहीं नापा जा सकता है ?
अश्रु भरे नेत्र,
क्या कहीं तौले जा सकते हैं ?
जो छुई न जा सके वह पीड़ा,
जो कही न जा सके वह व्यथा ,
क्या कहीं ऐसा अनुभूति क्षेत्र है
जहॉं लिखी जा सकें ?