अतरंगी
अतरंगी
कितनी रंगीन है तुम्हारी दुनिया
अजब रंगों से सजी रहती हो
हर एक रंग यूँ चमकता है आंखों में
कि जैसे सूरज की तेज किरनें
गुजरती हो तुम्हारे मन के प्रिज्म से
बिखेर कर रख देती है हर एक रंग की लकीरें
सब जुदा एक दूजे से
कितनी रंगीन है तुम्हारी दुनिया
अजब रंगों से सजी रहती हो
तुम्हारे कई रंगों में सराबोर इस जीवन मे
क्या कहें कौन सा रंग नहीं चढ़ा हमपे
कभी रंग उजला सफेद तो माँ सी तुम
कभी गुलाबी तो नन्हें हाँथों की नर्mi तुम
रंग लाल तो जीवन साथी तुम
कितनी रंगीन है तुम्हारी दुनिया
अजब रंगों से सजी रहती हो
बिना तुम्हारे कितने बेरंग होगी ये दुनिया
तुम इन रंगों से भी बढ़कर हो
तुम चेतना हो, तुम सम्मान हो
तुम संतोष हो, तुम अभिमान हो
तुम हो तो हम है, तुम सबकी पहचान हो
कितनी रंगीन है तुम्हारी दुनिया
अजब रंगों से सजी रहती हो.