असमंजस में मैं
असमंजस में मैं
मृत्यु मुंह फाड़े
बांह पसारे
खड़ी है मेरे द्वार,
मोह मेरा
अपनों के बीच
हिचकोले खाता
मंडरा रहा है
बेखबर........!!
जाऊं या ना जाऊं
असमंजस में मैं
चिपका हूं
गले से उनके
फिर से न बिछड़ने के लिए...!
और ईश्वर.....
तेरी लीला तू जाने
बस मुस्करा रहा है तू
मुझे देख
दूर बैठ कर.....!
