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Surendra kumar singh

Abstract Fantasy

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Surendra kumar singh

Abstract Fantasy

समय का क्या है

समय का क्या है

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समय का क्या है

वो तो चला ही जायेगा

रह जायेंगे उसके पदचिन्ह

कामना की तरह

नया इतिहास बनाने की।


नया इतिहास यानी

भविष्य की वर्तमान में दस्तक

अब जड़ता का सम्मोहन देखिये

अतीत चला आया है वर्तमान में

अब इस आज के महाभारत में

कोई ढूंढे पुराने पात्र

न मिलेगा कोई

न जरूरत है किसी की।


चाहे वर्तमान में उमड़ आये

रामायण को देखिए

अयोध्या में मंदिर ही दृश्यमान है

वो भी निर्माणाधीन है अभी

बाकी पूरा कथानक अतीत का है।


कितना दिलचस्प है

वर्तमान का गुजरता हुआ एक पल

जैसे एक युग में

दो दो युग।

सब कुछ इतना गडमड है

जैसे महाभारत प्रवेश कर गया है

आज के रामायण में।


फिर भी नये पात्र आकर ले रहे हैं

भविष्य के लिये

समय के पद चिन्ह 

महाभारत और रामायण के

परछाइयों से दूर

चमक रहे हैं 

अंधेरे में रोशनी की तरह

उलझन में स्पष्टता की तरह।


मूर्तियां अपने बंधन तोड़कर

हम सफर बन गयी हैं मनुष्य का

मनुष्य देश धर्म की पहचान से मुक्त

आदमी होने का उद्घोष कर रहा है

और हम सुन सकते हैं

अपने ही अंदर मनुष्यता की

गुनगुनाहट

अपने ही जीवन में ही,

अपने ही मानवीय गुणों को

हथियार की तरह इस्तेमाल करते हुये।


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