मेरी हर कमी
मेरी हर कमी
मेरी हर कमी तुम पूरा कर देती हो और बिन कहे मेरे तुम आवाज़ बन मेरी सब कह देती हो।
कोशिश करती हो कि मुस्कान मेरी यूँही बनी रहे और जो गम कभी आता है तो तूफान बनके तहस नहस उसको तुम कर देती हो।
तुम्हारे जीने की एक वजह बन गया हूँ मैं, और जो मैं न दिखूँ तुम्हे तो आसमान बनके तुम मुझे ढूँढ ही लेती हो।
मेरे इतने सारे ढोंग तुम चुप चाप सह लेती हो, और जो कभी कदम मेरे गलत राह पे चल पड़ते तो रास्ते बनके तुम मेरी राह मोड़ देती हो।
कितनी बार भी मैं रुठ जाऊँ तुमसे हर बार तुम माने लेती हो, अगर कभी देर लगती तो तुम हवा बनके मेरे कानों को कोई गीत सुना देती हो।
जब कभी निराश होके मैं बैठ जाता तुम हौसला बनके मुझे उठा लेती हो, संकट कितना भी गंभीर क्यों न हो तुम उपाय बनके सुलझा ही देती हो।
समाज मे बनाके इज़्ज़त मेरी अपने पास रखती हो, और जरा सी भी कीचड़ आते देख तुम कमल के जड़ जैसी मजबूत बन मुझे उबार ही लेती हो।
मेरी हर कमी तुम पूरा कर देती हो और बिन कहे मेरे तुम आवाज़ बन मेरी सब कह देती हो।