जब कभी
जब कभी
जब कभी कोई बात बिगड़ती तो मैं कहता कि मैं सही करता हूँ सब।
जब कभी लगता कि कमी है किसी मे तो मैं कहता कि में खुद को और तैयार करता हूँ।
जब कभी होती बहुत मारा मारी तो मैं कहता कि में सब कुछ सह लूंगा।
जब कभी समय होता प्रतिकूल तो मैं कहता कि में इस समय को निभा ले जाऊंगा।
जब कभी तेरा मन खराब होता तो मैं कहता कि में तुझे खुश करने को कलाकार बन तेरा मनोरंजन करता।
जब कभी मेरा मज़ाक तू बना दे तो मैं कहता कि में सब भुला के हंस लेता खुद पे ही।
बस तुम कभी विश्वास ये मेरा न तोड़ना और बदले में जो चाहे तुम मुझसे मांग लेना।
