कहाँ हो तुम ?
कहाँ हो तुम ?
क्या कहने है आपके
कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा
चप्पा चप्पा छान मारा
लेकिन हुए न दर्शन आपके
आखिर कहाँ हो तुम ?
क्या अकेलेपन से नाता जोर लिया
क्या किस्मत ने दिया कोई झटका
क्या गम को अपना मीट बना लिया
या फिर तुम्हारा रास्ता है भटका
आखिर कहाँ हो तुम ?
क्या तुम्हे किसी की याद नहीं आती
क्या तुम्हे मेरे पेट का दर्द नहीं दीखता
संसार में सैकड़ों उथल पुथल हो रहे हैं
क्या चले जाओगे बीन झेले
आखिर कहाँ हो तुम ?
मैंने कितने आशयों का निर्माण किया
मैंने कितने ही मिनट मांगी
मैंने कितनी बार खोये आत्मविश्वास को जगाया
इतनी जल्दी निराश क्यों हो गए
आखिर कहाँ हो तुम ?
न मनो तुम खुद को दोषी
कोई नहीं हैं तुम्हारा विरोधी
हाथ फैलाये सब खड़े हैं
मदद करने के लिए गड़े हैं
आखिर कहाँ हो तुम ?
अब मुझे और न सतायो
न रो पाती हूँ न हॅंस पाती हूँ
बस तुम्हारे पकड़ने ki देर हैं
समझो न इसमें कोई फेर हैं
आखिर कहाँ हो तुम ?
सुनना हैं तुम्हे अनोखी बातें
और इस जगत के रिश्ते नाते
माफ़ कर दो हर भूल को
त्याग दो बुरे पथ को
आखिर कहाँ हो तुम ?
नींव डालों नयी सुबह की
खिलते फूलों की खुसबू ले लो
होगी फिर से प्यार की जीत
तुम्हारे बिना मैं निर्जीव हूँ
आखिर कहाँ हो तुम ?