कैसे बताऊँ तुम्हें
कैसे बताऊँ तुम्हें
कैसे बताऊँ तुम्हे की तुम मेरे लिए क्या हो ?
मेरे लिखे लफ़्ज़ों और कहे शब्दों का इक सार्थक सा रूप हो।
कैसे बताऊँ तुम्हें की तुम मेरे लिये क्या हो ?
मेरी कही बातों का तुम इक लहज़ा हो।
नहीं कोई वास्ता मेरा इस सारी दुनिया से कियोंकि
मेरी दुनिया तुम हो।
मेरी शामों का ख़ूबसूरत सा ख़याल हो और
चाय के साथ एक प्यारी सी रोज़ की मुलाक़ात हो।
मेरी रातों का चाँद हो।
और रातों का एक प्यारा सा साथ हो।
कैसे बताऊँ तुम्हें की तुम मेरे लिए क्या हो ?
मेरे लिए आसमाँ से उतरा एक अनमोल
सा तोहफा हो।
दिल ये मेरा जानता है की मेरे
हर दर्द और बीमारी का इलाज तुम हो।
एक जादू सा हो तुम , जिसके छूने भर से और
बात करने भर से तबीयत मेरी सँवर सी जाती है ।।
इस दिल की धड़कन हो तुम ,
मेरे हमसफ़र हो तुम ,हाँ मेरे हो तुम।