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Kunda Shamkuwar

Abstract

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Kunda Shamkuwar

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देवी नुमा लड़कियाँ

देवी नुमा लड़कियाँ

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वह देवी नुमा लड़कियाँ !!!

वही जो जिंदगीभर निगाहें नीची रखती हैं!

सूरज की रोशनी?

हाँ,वह देख लेती हैं सूरज की रोशनी..…

अपनी मिनिमम ज़रूरतों के लिए...निगाहें नीची करके....

साँझ ढलने के पहले घर आने के हुक्म के साथ....

चाँद की रोशनी?हाँ, वह खिड़कियों से देख लेती हैं...

हाँ, जिसे दिन ढलने के पहले घर आने का हुक्म हुआ हो...

वह क्या रात को घूम घूम कर चाँद देखेगी भला? 

क्या उसे ज़रूरत भी हैं चाँद देखने की?

हाँ, सही कहा आपने, वह देवी नुमा लड़कियाँ सब को भाती हैं....

क्योंकि वह हुक्म की पाबंद जो होती हैं....

वह अपनी हद में रहना जानती हैं....

घर के किसी मसलों पर उनकी राय की क्या अहमियत?

किसी घर को सुचारू रूप से चलाने की वह एक व्यवस्था मात्र होती हैं...

व्यवस्था जो तय समय पर खाना बनाएँ, बिस्तर लगायें और ख्याल रखें....

सब कुछ सहूलियत के लिए.....

और यह आज़ाद ख़याल लड़कियाँ!

इनके तौर तरीकों को देखकर घर के बड़ों की गर्दन नीचे झुक जाती है....

वह सवाल पर सवाल करती हैं....

परंपराओं पर.....रीति रिवाजों पर....

कभी ढकोसलें कहते हुए उनका मज़ाक उड़ाती है.....

आजकल तो वह अधिकार और निर्णय की बातें भी करने लगी हैं.....

और तो और बराबरी की नाजायज़ माँग भी करने लगी हैं!

हमारी संस्कृति पर खतरा मंडराने लगा है....

हाँ, हमे हमारे आसपास बस वह देवी नुमा लड़कियाँ ही चाहिए....!

हमें न तो कोई सवाल चाहिए और न सवाल करनेवाले भी....

हमे हमारी संस्कृति की रक्षा जो करनी है.....



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