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gyayak jain

Drama

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gyayak jain

Drama

अपने

अपने

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दूर नहीं हैं, बस उनको समझना थोड़ा सीखा जाए

अपनों को अब सच में, अपना बनाना सीखा जाए।


नादानियाँ ही तो करना सीखा है अब तक

अब उन नादानियों में जज़्बातों को भी पिरोया जाए।


सभी जरूरी होते हैं, जिन्दगी में अपनी

अब अपनी जरूरतों को बांटना भी सीखा जाए।


कहते हैं हमें अपना सब लोग हमेशा

हाँ, हैं वो अपने, उनको भी ये एहसास कराया जाए।


बातों का बुरा लगता है उनको, जो होते हैं करीबी

जो बुरा मान के बैठ जाए, उसके कान पकड़ अपनाया जाए।


रिश्ते ऐसे ही नहीं बनते, हर एक धागे की जोड़ तंज होनी होती है

अलग हो तो डर लगता है, फिर क्यों न इन्हें मुट्ठी सा साथ जोड़ा जाए।


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