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✍ कुलदीप पटेल के•डी

Drama

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✍ कुलदीप पटेल के•डी

Drama

अपने माँ के बेटे हम

अपने माँ के बेटे हम

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अपने माँ के बेटे हम !

माँ को ही दुख देते हम !

जिसके आँचल में खेला

आज नही है उसमें दम !


देखो हमने कैसा वर्ताव किया !

दर्द सिवाय और कुछ न दिया !

देकर अपने हिस्से का जीवन

पल भर भी सुख से न जिया !


पल भर में कर दिए पराये !

उम्र भर से थे जिनके साये !

वही टूटा मकान एक चूल्हा

वस ही उनके हिस्से में आये !


आज है हम उनपे कर रहे अत्याचार !

कल के कष्टो के है खुद ही जिम्मेदार !

कदर नही करते है जो माँ के ममता का

मिलेगा नही उन्हें भी बच्चों का प्यार !


तुम तकलीफे दो रोज भले हजार !

गलती करो नही भले कभी सुधार !

पर माँ के दुआ में तुम्हारे लिये हर रोज

उठेंगे हाथ जब तक जिंदा हो हर बार !


बनना था जब आंखों का तारा !

दिखा दिए है उसको अंधियारा !

सहकर भी कुछ नही कहती है

आखिर बेटा है वो मेरा बेचारा !


कोमल ह्रदय है उसका अपार !

करती है अपने बेटों का उद्धार !

विद्धमान है ये जो संस्कार तुममे

है उस माँ का ही तुमपे उपकार !


कब शैलाब उठेगा हमारे जुनून में !

कब आग लगेगी हमारे खून में !

पाल पोस कर बड़ा किया जिसने

कब नजर आयेंगे उनके सुकून में !



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