अपने माँ के बेटे हम
अपने माँ के बेटे हम
अपने माँ के बेटे हम !
माँ को ही दुख देते हम !
जिसके आँचल में खेला
आज नही है उसमें दम !
देखो हमने कैसा वर्ताव किया !
दर्द सिवाय और कुछ न दिया !
देकर अपने हिस्से का जीवन
पल भर भी सुख से न जिया !
पल भर में कर दिए पराये !
उम्र भर से थे जिनके साये !
वही टूटा मकान एक चूल्हा
वस ही उनके हिस्से में आये !
आज है हम उनपे कर रहे अत्याचार !
कल के कष्टो के है खुद ही जिम्मेदार !
कदर नही करते है जो माँ के ममता का
मिलेगा नही उन्हें भी बच्चों का प्यार !
तुम तकलीफे दो रोज भले हजार !
गलती करो नही भले कभी सुधार !
पर माँ के दुआ में तुम्हारे लिये हर रोज
उठेंगे हाथ जब तक जिंदा हो हर बार !
बनना था जब आंखों का तारा !
दिखा दिए है उसको अंधियारा !
सहकर भी कुछ नही कहती है
आखिर बेटा है वो मेरा बेचारा !
कोमल ह्रदय है उसका अपार !
करती है अपने बेटों का उद्धार !
विद्धमान है ये जो संस्कार तुममे
है उस माँ का ही तुमपे उपकार !
कब शैलाब उठेगा हमारे जुनून में !
कब आग लगेगी हमारे खून में !
पाल पोस कर बड़ा किया जिसने
कब नजर आयेंगे उनके सुकून में !