अपना घर
अपना घर
मायके में मां को देखकर क्यों सोचती हो पगली कि एक दिन घर तेरा भी होगा।
ससुराल में सासू को देखकर क्यों सोचती है पगली एक दिन घर तेरा भी होगा।
मायके में तू पराया धन थी और ससुराल में तू पराए घर की हैl
इस उलझन में क्यों है उलझे कि तू कौन से घर की है।
समय को थोड़ा बीत लेने दे। जिंदगी को सांझ तक पहुंच लेने दे।
उत्तर खुद ब खुद मिलेगा। जब तुझे यह पता चलेगा ।
यह तो जीवन चल रहा था और हर ख्याल तेरे मन में ही पल रहा था ।
एक दिन तू यह भी देखेगी कि ना मायके में तेरी मां का
ना ससुराल में तेरी सासू का कोई भी रुबाब चलेगा।
अपने ही घर में पराई सी कहीं बैठी होंगी ।
जाने किस की आस लगाए किधर को तकती होंगी ।
किस्मत वाली होंगी तो शायद कोई घर मिलेगा।
वरना मैं क्या जानूँ, उनका कौन कहां मिलेगा?
पूरी दुनिया तेरी है यह तू मान ले पगली।
इस संसार में ही सबको तू अपना मान ले पगली।
अपना बर्ताव ही तुझे वापस मिलेगा।
एक दिन अपनों के दिल में ही तुझे तेरा घर मिलेगा।