मैं सी एच एस हूं !
मैं सी एच एस हूं !
मैं सी एच एस हूं !
मैं गंगा के रम्य तट पर बसा विश्व विद्या निकेतन CHS हूं !
मैं बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर बसी आध्यात्मिक
नगरी वाराणसी का विद्या केंद्र CHS हूं !
मैं माता बेसेंट की परिकल्पना CHS हूं !
मैं महामना मालवीय की संकल्पना CHS हूं !
मैं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सानिध्य में पोषित ज्ञान निकेतन CHS हूं !
मैं ज्ञान- विज्ञान- अध्यात्म-गणित- खनिज-
रसायन -कला एवं संस्कृति का संवाहक CHS हूं !
मैं गौरवशाली 125 वर्षों के अपने स्वर्णिम इतिहास को समेटे-
संजोये अविरलता से प्रगति पथ पर चिरन्तन CHS हूं !
मैं ज्ञानार्थ प्रवेश : सेवार्थ प्रस्थान का संवाहक संदेश देता विद्या भूमि CHS हूं !
मेरे प्रांगण उन अगणित विद्यार्थियों के साक्षी हैं,
जिन्होंने कभी यहां विद्या अर्जन और परंपरा निर्वहन किया !
जो आज अपनी मेधा , प्रतिभा और लगन का परिचय देकर न सिर्फ
समस्त CHS विद्यालय परिवार अपितु मां भारती का परचम पूरे विश्व में लहरा रहे
उन असंख्य विश्व विद्यार्थियों का तप : स्थली CHS हूं !
मैं विस्तृत हरे -भरे मैदान , ऐतिहासिक विरासत को समेटे भव्य पुस्तकालय,
सुरभित सरगा हॉल, विशाल वटवृक्ष एवं अशोक सरीखे
तरु की छाया में पुष्पित- पल्लवित विद्या निकेतन CHS हूं !
हाँ ! मैं गुरु- शिष्य कि परंपरा को अभी भी
साकार करता ज्ञान की पौधशाला CHS हूं !
हाँ ! मैं माँ गंगा के रम्य तट पर बसा विद्या निकेतन CHS हूं !
हाँ ! मैं इस युवा कवि की अभिव्यक्ति की आवाज़ CHS हूं !
हाँ ! मैं CHS हूं।।
