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Vimla Jain

Action Others

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Vimla Jain

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एक गुलाब की अभिलाषा

एक गुलाब की अभिलाषा

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प्रस्तावना

जब एक गुलाब का फूल जानता है कि वह शहीदों के चरणों में नहीं चढ़ सकता है, मंदिर में नहीं चढ़ सकता है। तो वह अपनी अभिलाषा किस तरह व्यक्त करता है।


मैं तेरी बगिया का गुलाब का फूल।

देसी गुलाब तूने बहुत ढूंढ ढूंढ कर जो   लगाया है ।

यह जगह ऐसी है जहां से मैं वीरों की शान में नहीं जा सकता।

देव दर्शन को तू जाती नहीं तो वहां भी मैं अपने को नहीं पाता।

अभिलाषा बहुत थी वहां जाने की मगर मैं वह नहीं कर पाता।

जो नहीं है संभव उसमें क्या है।

जो संभव है वही सही है।

बस मैं इतना चाहता हूं कि मैं मुरझा कर  कचरे में ना डाला जाऊं।


इसीलिए मेरी अभिलाषा है कि तू जो

रोज सुबह एक फूल अपने प्रीतम को देती।

उन्हीं में से एक फूल बन जाऊं।

यह बड़े प्यार से तुझे वापस एक फूल देते।

अपने चोटी जुड़े में तू मुझे लगाती नहीं।

क्योंकि वह तुझे पसंद ही नहीं

दोनों फूलों को टेबल पर रख कर उनकी पंखुड़ियों निकाल सुखाकर फिर विविध तरीके तो तुम काम लेते।

 मेरी अभिलाषा यही है कि मैं तुम्हारे घर बनाए गुलकंद के गुलाब में समा जाऊं।

ताकि सब कह सकें क्या गुलाब था।

या तुम्हारी मिठाई के ऊपर शोभा बढ़ाऊं।

या तुम्हारी ठंडाई का स्वाद बढ़ाऊं।

इस तरह में सब के काम आ जाऊं।

पर मैं कचरे में ना डाला जाऊं।


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