STORYMIRROR

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

4  

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

धड़कता दिल

धड़कता दिल

2 mins
228

यह दिल है हमारा दिन-रात धड़कता रहता है।

हर सेकंड धड़कता रहता है।

जब तक धड़कता है तब तक है सांसे।

जिस दिन यह धड़कना भूल गया हमारी सांसे भी जाएंगी उखड़।

और टूट जाएगा नाता हमारा इस संसार से।


इसीलिए इंसान सोचता है जितनी जिंदगी हम जी ले

 वह अच्छी तरह ही जी लें। उसी चक्कर में अपने दिल के

ऊपर अनचाहा बोझ हम डालता ही रहता है।

 और यह दिल बेचारा।

डरता हुआ दुष्चिंताओं का मारा सब कुछ सहन करता रहता है।


इस पर हम बहुत अन्याय करते हैं

दिल बेचारा दुश्चिंता ओं का मारा।

जरा जरा सी बात पर बेचैन हो जाता।

कभी परीक्षा का रिजल्ट।

कभी खून के जांच का रिजल्ट।

कभी नौकरी के इंटरव्यू का रिजल्ट।

कभी कोई समय से ना आया हो।


कभी कोई समाचार ना आया।

है दुश्चिंताओं में भरा यह दिल।

इतना बेचैन हो उठता है कि ,

जब तक सब सही नहीं हो।

शांत होने का नाम नहीं लेता।

जरा जरा सी बात पर धड़कनें बढ़ाने लगता।


फिर एक दिन मैंने मेरे दिल को समझाया

क्यों रे जीवड़ा तू इतना बेचैन रहता।

थोड़ा भगवान पर भरोसा कर,

जो होगा है अच्छा होगा।

आने वाली आफत से क्या घबराना।

 हिम्मत से काम ले कुछ भी बुरा नहीं होगा।

है तेरा ईश्वर तेरे साथ फिर यह घबराना कैसा।


अगर एक जगह कुछ तकलीफ है तो,

दूसरी जगह उसका हल भी है।

इसलिए ए बेचैन दिल तू घबराना छोड़ दे।

और मैंने घबराना छोड़ दिया।

अब तो जो परिस्थिती होगी उससे निकलेंगे।

कभी ना हम घबराएंगे।

हर परिस्थिति से निकल ही जाएंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy