अपनी जब बारी आयी जोश से पटरी पे कूद पड़े रेल के सामने आ खड़े अपनी जब बारी आयी जोश से पटरी पे कूद पड़े रेल के सामने आ खड़े
आज भी वाकिफ नहीं मैं तेरी, बदलती राहों से और बा़ँहों से। आज भी वाकिफ नहीं मैं तेरी, बदलती राहों से और बा़ँहों से।
चार पंक्ति सुनाने का चार शब्दों का, बढ़ावा किसी का। चार पंक्ति सुनाने का चार शब्दों का, बढ़ावा किसी का।
कभी कभी मुश्किलों को हल करने के लिए एक मुलाकात अपने घबराहट से जरुरी होती है कभी कभी मुश्किलों को हल करने के लिए एक मुलाकात अपने घबराहट से जरुरी होती है
तुम जब भी गुजरते थे मेरी राह से दिल मे एक आहट सी होती। आँसू गर आते आंखों में तेरी, तुम जब भी गुजरते थे मेरी राह से दिल मे एक आहट सी होती। आँसू गर आते आंखों...