वाकिफ हूँ
वाकिफ हूँ
आज भी वाकिफ हूँ,
या फिर वाकिफ नहीं,
तेरी हर आहट से,आदत से,
और बनावट से।
आज भी वाकिफ नहीं तेरी,
बदलती चाहत से, इबादत से,
और राहत से।
शायद वाकिफ हूंँ मैं तेरी,
दी हुई घबराहट से,
और ज़लालत से।
आज भी वाकिफ नहीं मैं तेरी,
बदलती राहों से और बा़ँहों से।
आज भी मैं वाकिफ नहीं,
क्यूं तुझसे मैं वाकिफ हूंँ।
