किताबों से बातें
किताबों से बातें
आज फिर हम किताबों से बातें कर रहे थे तो मन में यह सवाल आया कि
यह कहां आ गए हम जिंदगी में किताबों से बातें करते हुए।
जिंदगी की किताब को पढ़ते हुए।
बचपन से आज तक हमेशा हमने किताबों से बातें ही करी है।
यह किताबें ही तो है जिन्होंने कभी अकेलेपन बोरियत खालीपन का
एहसास ही नहीं कराया हमेशा मन को हरा भरा ही रखा है।
तरह-तरह की किताबें जो हमने पढी है।
कुछ ज्ञानवर्धक कुछ कहानी वाली
कुछ धर्म वाली, कुछ कर्म वाली,
आसपास में चलने वाले करंट अफेयर्स की किताबें किताबें किताबें
और किताबें हर किताब कुछ सिखा जाती है जिंदगी के नए पाठ पढ़ा जाती है
पढ़ते-पढ़ते हमने भी लिखना सीख लिया है
अब हम भी लिखने लग गए हैं सोचते हैं हम भी किताब छपवा ही लें।
जो हमारे पाठक गण को हमारे विचार से अवगत करा ले।
जो किताबों से हमने सीखा है जो ज्ञान की गंगा किताबें बहाती हैं।
उसका कुछ कतरा हमारी किताब भी बहा आ जाए।
हमने बहुत पढी है।
शुरुआत से अक्षर ज्ञान की किताब से लगाकर
धर्म-कर्म की किताबें बहुत पढ़ डाली।
किताबों से हमने बातें ही तो करी हैं।
और साथ में जिंदगी की किताब भी हमने पढी है।
उससे भी हमने बहुत बातें करी है।
बहुत कुछ सीखा है और बहुत कुछ जिंदगी में उतारा है।
और बहुत कुछ सिखाया है।
जिंदगी में हमने किताबों से बहुत बातें करी है और आज भी करते आए हैं।
और आगे भी करते रहेंगे।
अच्छी-अच्छी बातें दिल दिमाग में उतारते रहेंगे।
और उनसे नया श्रजन करते रहेंगे।
