मध्यम वर्गीय जीवन आशा निराशा
मध्यम वर्गीय जीवन आशा निराशा
मिडल क्लास जिंदगी रोटी कपड़ा और मकान में ही
और पढ़ाई जिंदगी के जीवन जरूरत है।
जब वह अच्छी तरह है पूरी नहीं कर पाता है
तो दुख और निराशा में डूब जाता है।
उसकी जिंदगी बच्चों की पढ़ाई घर की
सुविधा जुटाने में ही चली जाती है।
और जिस घर में बीमारी घुस जाए और जवाबदारियों बहुत हो तो
कमाने वाले इंसान के कंधे झुक जाते हैं।
तो भी उसकी जेब हमेशा खाली ही नजर आती है
और दिल दिमाग पर हमेशा
यह चिंता लगी रहती है कि आगे का खर्चा कैसे चलेगा।
हर मां बाप चाहते हैं बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना।
मगर अपनी बजट से ज्यादा सबसे महंगे स्कूल में
पढ़ाने के लिए मां-बाप की जिंदगी गुजर जाती है।
आज जितने ऊंचे और महंगे स्कूल उतने ही बच्चों की
आपसी स्पर्धा के कारण उनकी मांगे भी बढ़ती जाती हैं।
उन मांगों को पूरा करने में मां-बाप को पसीना आ जाता है।
मगर बच्चों को उसकी अहमियत समझ में नहीं आती कि
मां-बाप किस तरह से उनको पढ़ा रहे हैं।
अपना पेट काटकर अपनी जरूरतों को नकार कर उनको शिक्षा दिला रहे हैं।
वह सोचते हैं यह हमारा हक है जो हम पा रहे हैं।
और जो अपने पांव अपनी चादर देखकर पसारे जाएं तो
उस घर में सब प्यार से मिलजुल कर रहते हैं।
वहां हर छोटी से छोटी चीज आने पर भी घर में उत्सव मना लिया जाता है।
एक एक फल सब खा कर के भी संतुष्टि को पा लिया जाता है।
कहती है विमला भले तुम मध्यम वर्ग में हो भले
तुम उच्च वर्ग में हो।
भले गरीब परिवार में हो। मेहनत करो तो अपनी स्थिति सुधर जाएगी
अपनी आने वाली पीढ़ी को शिक्षा और उचित ज्ञान देखकर आगे बढ़ने का हौसला दो।
दिखावट में ना जाए जिंदगी की असलियत को पहचाने और प्यार से
और खुशी से अपनी जिंदगी को जी जाएं।
छोटी-छोटी खुशियों में भी अपने आप को खुश पाएं आगे बढ़ने के सपने
देखे तो मेहनत और पुरुषार्थ करके उसको पूरा करें।
ऐसी शिक्षा और संस्कार दे।
बच्चों को ऐसा ज्ञान दें अपनी आर्थिक स्थिति ना छिपा
बच्चों से दिनभर किट किट ना कर
वास्तविकता से उनका ज्ञान करना है।
बड़े और बच्चों को साथ लेकर चलना सिखाए।
जितनी अपनी चादर हो अपने पांव फैलाएं।
मध्यमवर्गीय जिंदगी भी गुलजार हो जाती है।
खुशियां और प्यार से भरी आबाद हो जाती है।
वहां छोटी छोटी खुशियां भी खास हो जाती है।
