अपना घर जेल हो गया
अपना घर जेल हो गया
विधाता का कैसा ये खेल हो गया
अपना ही गाँव घर जेल हो गया।
घर में ही खाना है, घर में नहाना
कैदी सा जीवन, कहीं भी न जाना।
जेलर बना है,ये घातक "कोरोना"
दु:ख तो यही है, इसी का है रोना।
सब कोई पुछे कि, क्या तेरा हाल है
कैसे बताऊं कि जिना मुहाल है।
रह-रह ख्याल एक आता है मन में
कब तक यूं जिंदा, रहेंगे भवन में।
ये ईश्वर का कैसा, ये खेल हो गया
अपना ही गाँव घर जेल हो गया।