अंतिम सत्य 'मृत्यु'
अंतिम सत्य 'मृत्यु'
विस्मृत होता है
जब कुछ,
मौत
तब थोड़ा
और करीब आ जाती है,
धीरे धीरे
कुछ टूटता है
कुछ छुटता है
और
लोप होने लगता है
आस पास की पड़ी
जानी पहचानी
स्मृतियों का
और प्रगाढ़ होता है
रिश्ता अंतिम संस्कार का
मौत से
और हम गढ़ देते हैं
एक और संस्कार का
अंतिम ईट
ढह जाता है
जीवन का आलिशान
किला
यही है अंतिम सत्य
सतत चलता रहता है
यह सत्य
और हम
सीखते है संस्कार ,
और..
रचते हैं संसार!।
