अनकही बातें
अनकही बातें
सुनो...
करनी थी कुछ बातें,
चंद मुलाकातें तुमसे..
कुछ अनकही बातें.. कुछ अनकहे जज्बात..
छुपा कर रखे थे जो,
दिल के कोने में..
कहने हैं सब तुमसे,
सौंपने हैं तुम्हें.. वो नर्म-गर्म अहसास..
राह तकती हूँ
तुम आओगे..
पर रहने दो..
ये जज्बात.. ये अहसास..
यही तो मेरे अपने हैं..
सौंप दिया इन्हें तुम्हें
तो कैसे जीऊंगी मैं??
जाने भी दो...
कुछ अनकही बातें
अनकही ही रहने दो......

