हम तो बस तेरे से थे
हम तो बस तेरे से थे
कुछ ख्वाब भीगे से थे
कुछ ख्याल सीले से थे..
तेरी प्रीत की अगन से हम
फिर भी कुछ दहके से थे..
यूं तो जुदाई का मंज़र था मगर
ख्वाबों में मिलने के सिलसिले से थे..
मौजों को किनारा हासिल ना था
मगर हौसले उनके कहां ठहरे से थे..
कोई हमें दीवाना समझता कोई पागल
समझे जो चाहे कोई हम तो बस तेरे से थे...!!!