STORYMIRROR

Kanak Agarwal

Fantasy Inspirational

4  

Kanak Agarwal

Fantasy Inspirational

मनमर्जी

मनमर्जी

1 min
399

सूरज को जाकर मैं टीका लगाती,

आंचल में उसको अपने सजाती...


चांद को बनाकर माथे की बिंदिया,

सितारों को चूनर में मैं जड़ लाती...


पंछी बनकर घोंसला सजाती,

पेड़ों की बांहों में झूला झुलाती...


नदिया के पानी में अठखेलियां करती

गीत मधुर मैं उनको सुनाती...


पर्वत की चोटी पर फैलाकर बाहें,

आसमान को गले लगाती...


काश चलती जो मनमर्जी मेरी,

दुनिया की हर शै को मैं प्रेम सिखाती....!!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy