मुझ में रब बसता है
मुझ में रब बसता है
मेरा मन उपवन जब तरसता है
तेरी यादों का घन बरसता है…
खिल उठती है कली कली
हर फूल तब महकता है...
दिल की बस्ती वीरान नहीं
महफ़िल में तू ही रहता है...
लोग कहें चाहें दीवाना
मुझमें तो रब बसता है....!!
मेरा मन उपवन जब तरसता है
तेरी यादों का घन बरसता है…
खिल उठती है कली कली
हर फूल तब महकता है...
दिल की बस्ती वीरान नहीं
महफ़िल में तू ही रहता है...
लोग कहें चाहें दीवाना
मुझमें तो रब बसता है....!!