जिंदगी
जिंदगी
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सफ़र में थी जिंदगी और हम चलते चले गए
वक्त की थी कुछ कमी कि हम दौड़ते चले गए
कभी चाह कभी वफ़ा के धागे टूटते गए
तो कभी अना कभी गरूर का हाथ थामते गए
कुछ तो थीं मजबूरियां वक्त से क़दम मिलाते चले गए
और कुछ थीं बदगुमानियां कि अहम् साधते चले गए
अब ना किसी राह ना मंजिल का कोई पता चले
अमन में थी ये जिंदगी हम भंवर लाते चले गए।